पृथ्वी पर जीवन कबसे है ? क्या ब्रह्माण्ड में कहीं और भी जीवन है? यदि है तो कैसा है, किस रूप में है? आदि कुछ ऐसे प्रश्र हैं जो मनुष्य के जहन में बड़े पुराने समय से उठ रहे हैं। बीच-बीच में जब उडऩ तस्तरियों की खबरे सुनने में आती हैं तो यह जिज्ञासा और रोचकता और भी बढ़ जाते हैं।
ऐसा माना जाता है कि ये उडऩ-तस्तरियां दूर के उन ग्रहों से आती हैं, जहां पर पृथ्वीवासियों से भी अधिक विकसित लोग रहते हैं। ऐसी विश्वसनीय जानकारी है कि अमेरिका तथा रूस के कब्जे में ऐसी उडऩ-तस्तरियों 'अन आइडेंटीफाइ फ्लाइंग आब्जेक्ट' के अवशेष हैं जो किसी दुर्घटना का शिकार होकर पृथ्वी पर ही गिर गईं और वापस अपने लोक नहीं जा सकीं। उडऩ तस्तरियों या यु. एफ. ओ. के नाम से जिन अंतरिक्ष यानों को दुनिया जानती है, उनमें आने वाले दूसरे गृह के प्राणी पृथ्वीवासियों से सम्पर्क स्थापित करने के लिये पृथ्वी के नजदीक आते रहते हैं।
रही पृथ्वी के अलावा जीवन की बात, तो यह कई बार सिद्ध हो चुका है कि ब्रह्माण्ड में ऐसे कितने ही स्थान हैं जहां पर पृथ्वी से भी अधिक विकसित सभ्यता है। इंसान अभी तक अपने सौर मण्डल को ही ठीक से नहीं जान पाया है। जबकि हकीकत यह है कि हमारा सौर मण्डल जिस आकाश गंगा का एक तिनके बराबर हिस्सा है, उसके जेसी अरबों-खरबों आकाश गंगाएं ब्रह्माण्ड में एक धूलि कण जितना भी स्थान नहीं घेरतीं है।
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