हमारे साथी विवेक ने पिछले दिनों बॉलिवुड की पूर्व ऐक्ट्रेस खुशबू के समर्थन में एक पोस्ट लिखी थी। उस पोस्ट पर कई कॉमेंट आए लेकिन एक ऐसा भी आया जिसे हमने पब्लिश नहीं किया। कोई सचिन नाम के सज्जन (?) ने लिखा था कि मुझे अपनी वाइफ, बहन या कज़िन का नंबर दीजिए, मैं उनके साथ सेक्स करना चाहता हूं। इससे पहले मेरी पोस्ट (10 मिनट का सेक्स और 24 घंटों का प्यार) पर भी कुछ पाठकों ने लिखा था कि अपनी वाइफ का नंबर दीजिए ताकि मैं उनसे संपर्क कर सकूं।
हमने ऐसे कॉमेंट नहीं छापे क्योंकि वे बहस को बहुत ही पर्सनल और छिछले स्तर पर ले जाते हैं। लेकिन फिर लगा, इन पाठकों को जवाब दिया जाना ज़रूरी है, और इन जैसों को समझाना भी ज़रूरी है कि जब कोई लड़की यह कहती है कि शादी से पहले सेक्स में कोई खराबी नहीं है, तो इसका यह मतलब कतई नहीं है कि वह सेक्स की भूखी है और जो भी मिलेगा, उससे अपनी देह की प्यास बुझाएगी। न ही वह वेश्या है कि किसी का फोन आएगा और वह पैसे के बदले में उसे अपना शरीर सौंप देगी। इसलिए सचिन जैसे पाठको, सॉरी, आपके लिए कोई चांस नहीं है। अगर आपको वाकई अपनी सेक्स की भूख मिटानी है तो या तो अपनी पत्नी के पास जाएं या फिर रेड लाइट एरिया में।
शादी से पहले या शादी के बगैर सेक्स संबंध बनाने की वकालत का बस एक ही मतलब है कि हम समाज और धर्म के ठेकेदारों के बनाए इस नियम को नहीं मानते कि आप अपना शरीर केवल उसी व्यक्ति को दोगे जिसने आपके साथ सात फेरे लिए हैं या निकाह किया है। 13-14 साल की उम्र में किसी लड़की का शरीर जवान होने लगता है। अब अगर वह 25-30 साल से पहले शादी नहीं करती, या कभी भी शादी नहीं करती तो वह इतने सालों तक सेक्स के सुख से क्या इसी कारण वंचित रहे कि उसने समाज के नियम के तहत किसी को अपना पति नहीं चुना है!? यानी उसे सेक्स का सुख पाना है तो शादी करनी ही होगी!? और शादी के बगैर उसने किसी से संबंध बनाए तो वह चरित्रहीन हो गई???
आपमें से कई पाठक पुरुष होंगे और जानते होंगे कि 14-15 साल की उम्र से ही सेक्स की इच्छा कितनी ताकतवर हो जाती है। आपमें से सभी ने शादी से पहले इस इच्छा की पूर्ति के लिए उपलब्ध तरीके अपनाए होंगे – कोई रेडलाइट एरिया गया होगा और पैसे देकर अपनी भूख मिटाई होगी, किसी को कोई फीमेल पार्टनर मिल गया होगा और बाकियों ने अकेले कमरे में मास्टरबेट किया होगा। पॉर्न साइट्स तो आपमें से सभी पुरुषों ने देखी होंगी। तो आप तो चरित्रहीन नहीं हुए यह सब करके। कहने का मतलब यह कि जब हम पुरुषों को यह सेक्सुअल अर्ज हो सकता है, और उसको मिटाने के लिए सबकुछ कर सकते हैं तो लड़कियों को क्यों नहीं? और अगर वे यह अर्ज मिटाने के लिए उपलब्ध तरीके अपनाती हैं तो आपको एतराज़ क्यों होना चाहिए!
फिर से दूसरे पैरे में कही गई बात तक आता हूं। सेक्स की इच्छा का और उपलब्ध तरीकों को मतलब यह नहीं है कि वे इसके लिए अपने-आपको सचिन जैसों के हवाले कर देंगी। वे वेश्याएं नहीं हैं न ही वे सेक्स की भूखी हैं। वे बस इस सिद्धांत पर डटी हैं कि अगर उन्हें कोई ऐसा मिला जिससे उनको संबंध बनाने का मन हुआ तो वे बनाएंगी बिना उससे शादी रचाए और आपको या किसी को उनपर उंगली उठाने का कोई हक नहीं है।
आखिर में उन लोगों को जिन्हें नहीं पता है, मैं बता दूं कि इस देश में दो बालिग लोगों का आपसी सहमति से शारीरिक संबंध बनाना कोई अपराध नहीं है। जो शादी से पहले ब्रह्मचारी रहना चाहते हैं, वे रहें - उनको किसी ने नहीं रोका है। लेकिन जो इससे इतर सोचते हैं, उनको रोकने या टोकने का अधिकार किसी को नहीं है। मुझे तो लगता है कि ये जो खुद को लंगोट का पक्का बताते फिरते हैं, ऐसी लड़कियों को बुरा-भला कहते रहते हैं, उनको दरअसल खुन्नस इस बात की होती है कि यह लड़की जो बहुत ही आधुनिक है, लड़कों के साथ घुलती-मिलती है, हंसती-बोलती है, वह मुझको भाव क्यों नहीं दे रही है। तो ऐसे में वे अपनी झेंप मिटाने के लिए इन लड़कियों पर उंगली उठाने लगते हैं - यह तो चालू है, चरित्रहीन है, छिनाल है। वहीं 'अंगूर खट्टे हैं' वाली कहानी...
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