Friday, July 23, 2010

10 मिनट का सेक्स और 24 घंटों का प्यार नीरेंद्र नागर Thursday April 01, 2010

आपके सामने ही आपकी बीबी किसी दूसरे के साथ सेक्स करे और नेचर के नियम का पालन करे तो आपको कैसा लगेगा? एक पाठक ने होमोसेक्शुअल्स पर मेरी पोस्ट पर टिप्पणी करते हुए पूछा है। इस सवाल का जवाब मैं थोड़ी देर बाद दूंगा, पहले मैं गे वाली पोस्ट पर स्पष्टीकरण दे दूं। इस सवाल से साफ है कि पाठक ने मेरी पोस्ट ध्यान से नहीं पढ़ी है। मैंने उसमें कहीं यह नहीं कहा है कि गे सेक्स नैचरल है, न ही मैंने कहा कि यह अननैचरल है। मैंने सिर्फ यह कहा है कि जो लोग इसे अननैचरल कहकर इसकी आलोचना करते हैं, वे गलत हैं क्योंकि हम खुद भी बहुत सारे अननैचरल काम करते हैं जिसके उदाहरण उसमें दिए गए हैं।

खैर, वह पोस्ट छप गई और कुछ लोगों को सही लगी,कुछ को गलत। सो उस पर हम दुबारा चर्चा नहीं करेंगे। मैं आज इस सवाल में छुपे एक दूसरे और बहुत ही महत्वपूर्ण सवाल पर अपनी राय रखूंगा। सवाल है - अगर मेरी पत्नी मेरे ही सामने किसी और के साथ सेक्स करे तो मुझे कैसा लगेगा? कल्पना करने की कोशिश की और एक अनजान व्यक्ति की बाहों में अपनी पत्नी को देखा। पता नहीं क्यों, न तो मुझे शॉक लगा, न ही मुझे उस व्यक्ति से जलन हुई, न ही उसे जान से मारने का मन किया। इसका क्या मतलब निकालूं - क्या मैं अपनी पत्नी से प्यार नहीं करता? या क्या मैं नामर्द हूं जो एक पराए मर्द की बाहों में अपनी पत्नी को देखकर भी मेरा खून नहीं खौलता? या क्या मैं विक्षिप्त हूं जिसका इलाज किया जाना चाहिए?

मुझे याद आता है शादी के पहले का एक वाकया। मैं तब 30 साल का था मुझसे 10 साल छोटी एक लड़की से मेरा परिचय हुआ। हम दोनों ने शादी का फैसला किया लेकिन चूंकि उसकी पढ़ाई चल रही थी, इसलिए हम थोड़ा रुक गए। हमारी उम्र में लंबा-चौड़ा फासला था, इस कारण भी मैं शादी को एकाध साल डिले करना चाहता था ताकि पता चल सके कि इस रिश्ते में कोई मजबूती है या नहीं। हमारी मुलाकातें भी कम होती थीं क्योंकि वह कोलकाता में थी और मैं दिल्ली में।

उम्र और दूरी के अलावा हमारे रिश्ते में एक और पेच था। वह मेरे एक क्लोज़ फ्रेंड से प्यार करती थी जो दूर के रिश्ते में उसका मामा लगता था और इस कारण उन दोनों में शादी संभव नहीं थी। उसी ने इस लड़की से मेरा परिचय भी करवाया था। मैंने कहा, 'मुझे तुम दोनों के प्यार से कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि मैं मानता हूं कि एक व्यक्ति एकसाथ दो लोगों से प्यार कर सकता है और उसमें कोई गलत बात नहीं है। जब तक तुम मुझसे प्यार करती हो,तब तक मुझे इससे कोई अंतर नहीं पड़ता कि तुम और किस-किससे प्यार करती हो।'

हमारे रिश्ते के 6 महीने हो गए थे। मैं उन दिनों कोलकाता गया हुआ था छुट्टियों में और लौटने के दिन करीब आ गए थे। एक दिन वह मेरे घर आई और बातों ही बातों में उसने कहा, 'मैंने मामा को एक लेटर लिखा है।'
मैंने पूछा, 'क्या लिखा है? क्या मैं पढ़ सकता हूं?'
वह बोली,'नहीं, तुम पढ़ोगे तो तुमको ईर्ष्या होगी...'
मैंने कहा,'मुझे क्यों ईर्ष्या होगी! मैं जानता हूं कि तुम उससे प्यार करती हो...'
वह बोली,'फिर भी। Afterall you are man।'उसने इंग्लिश में कहा था।
मेरी जिज्ञासा बढ़ रही थी। मैंने कहा, 'मैं पढ़ना चाहूंगा।'

उसने अनिच्छा से वह चिट्ठी मुझे थमा दी। मैंने उसे पढ़ना शुरू किया। बहुत ही इमोशनल लेटर था जैसा कि एक प्रेमिका अपने प्रेमी का साथ छूटने पर उसे लिखती है कि वह उसे कितना मिस करेगी। यह सब सामान्य था और मुझे बुरा भी नहीं लगा लेकिन चिट्ठी के अंत में उसने जो लिखा था, उसने मुझे हिला दिया। उसने लिखा- मेरा शरीर चाहे किसी का भी हो जाए लेकिन मेरा मन हमेशा तुम्हारा रहेगा...

वह मेरे चेहरे के बदलते भाव देख रही थी। जब मैंने उसे चिट्ठी लौटाई तो उसने पूछा, 'खराब लगा न पढ़कर? मैंने पहले ही कहा था...' मैंने उसे तत्काल तो कोई जवाब नहीं दिया लेकिन बाद में उसे लंबी चिट्ठी लिखी जिसका मर्म यही था कि मैं उसके शरीर के लिए उससे शादी नहीं कर रहा। मुझे उसका मन भी चाहिए। अगर उसका मन बंटा हो तो भी चलेगा लेकिन दिल में छोटी-सी ही सही, मेरे लिए भी एक खास जगह तो होनी चाहिए।

उससे फिर मेरी शादी नहीं हुई,यह बताने की ज़रूरत नहीं है। लेकिन यह किस्सा मैंने क्यों यहां सुनाया, इस पर मैं कुछ कहना चाहूंगा। उस लड़की से मैंने इसलिए शादी नहीं की कि सेक्स मेरे लिए बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं था, मेरे लिए उसका प्यार महत्वपूर्ण था। प्यार के साथ सेक्स एक बहुत ही आत्मीय और सुखद अनुभूति है। प्यार के बिना सेक्स एक जैविक ज़रूरत है। दस मिनट की ज़रूरत। भूख मिटी, काम खत्म।

अब मैं फिर से पाठक के सवाल पर आता हूं। मेरा जवाब है - अगर मेरी पत्नी किसी और से सेक्स करती है और अपनी इच्छा से करती है तो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। शादी करके मैंने उसे अपना गुलाम तो नहीं बना लिया कि उसे मुझसे और केवल मुझसे प्यार करना पड़ेगा और सेक्स भी मेरे अलावा किसी और से नहीं कर सकती। कोई भी व्यक्ति पर्फेक्ट नहीं है, मैं भी नहीं हूं। सो अगर मेरी पत्नी को किसी और से प्यार करके या सेक्स करके खुशी मिलती है तो मुझे बुरा नहीं लगेगा!अगर आप भी किसी से प्यार करते हैं तो आपको उसके किसी भी काम से बुरा नहीं लगना चाहिए जो उसको खुशी देता हो। हां,यह चिंता ज़रूर होगी कि इस खुशी को हासिल करते हुए वह अपना कोई नुकसान न कर ले। यह प्यार,यह चिंता ही महत्वपूर्ण है, सेक्स-वेक्स तो गौण है। बहुत पहले किसी की कही एक बात याद आती है- सेक्स तो 10 मिनट में खत्म हो जाता है लेकिन प्यार तो 24 घंटे साथ रहता है।

जिसने प्यार किया हो और बिना शरीर की ज़रूरत या मांग के प्यार किया हो, वही समझ सकता है कि 24 घंटे का यह प्यार 10 मिनट के सेक्स से कितना ज्यादा आनंद देता है।

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